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विश्वामित्र जी ज्ञानी छे,विश्वामित्र महा मुणी ज्ञानी,गनान मार्ग मा नियम छे,जे साधन थी इश्वर पराप्ति थाई,जि इश्वर मली गया पथी यह साधन छुती जाए,विश्वामित्र जी ने थाईयं,के यगन करवा थी इश्वर ने मिलाऊ वानो थो,अवर यह इश्वर जे पोते आवी गया,जे नवका मा बहसी ने गङगा पार छवाए,गङगा पार छवाए पति नवका ने मासे लईयं फराए नही,नवका छवडी देवा नही,जे साधन द्वारा पराप्ती थई,एस साधन पराप्ती पछि छुटे,एतले विश्वामितर जी ने तयू,यगणनो हवे कोई अर्छ नथी,पण सामे थी राम जी एक कहयू,के बाब जी,आपना माते यगणनी जरूर नथी,पण भविशन आभरत माते तो यगणनी जरूर छु,राम जी एक मुणी ने कहयू,मुणी एक राम ने नथी कहयू,सवार मराम जी एक एक मुणी ने कहयू,सवार मराम जी एक एक एक मुणी ने कहयू,निरभयता थी यगणनो आरमब करो,महतमा वो जर्न शाडा मागी गेया,यगणनो आरमब थययो,एक बाबा जी लकहयदे ने,औमकरण लगे मणि जारी,औमकरण लगे मणि जारी,आपु रहे मख की रखमारी,भी आपु रहे मख की रखमारी,यगन शरू थे गेओ,भगवान राम यगन नि रखषा माते उभाजे,लक्षमण दी उभाजे,यगन कुण्ड मा आहू ती अपाई,यगन नी पवितर जवलाओ आकाश मा चडी जे,सूनी मारी चरू,निशा चरि कोगी,ले सहाई धावा मनी कोगी,यगन नी आहू ती नो आजय, मारी चने सूबाहू यसांबलेओ छे,एक दम राक्षस ने लईन मारी सूबाहू आवे छे, भगवान राम जी एजोयू छे,एक ज बान मारी चने फफकारी, फना वगरनो चारसव गाव दूर मारी चने फफयको,सबाहू आयो, सबाहू ने अगनी सतर बान, पहवकास सतर बान मारी सरगावी नाएको,रक्षसनो विनाश करेओ, देवताओ एकुष्पने वरुष्टी करी, भगवाने रशिओनो यगन कारिय समपन्न करी,जयजय कार छवा लगयओ छे, महतमाओ यगन माथी उठी, परभु ने वनदन करिन कहे महराज, आपना परताप सि, अम�शसतरो, सउतरो पण हता, मनतरो पण हता, तरने वसतु हवाज छता,रशिओ पतानो यगन राम वगर पुरण करि से या नही,वगती ना जिवनमा सुतर होय, मनतर होय, शसतर होय,पण राम लक्षमन जिवन यगन मा ना आवे, तयं सुधि आजगत मा कोयि ना जिवन यगन पुरण थता है।,जिवन यगन ना पुरण करवा माते, आपन आजवन ना एग यगन चालय है।, अमन रोज मारीच ना सुभाहु, काम, करोद,सत्य जव आवि जाए, तो समरपण आवस्य।अने तुल्सिदास जी नो गरण थइटला माते करांति करि छे,तुळ्सिदास जी सत्य सिवाई विजा कोई धरमन एमान्यता आवता हन्त।धरमन दूसर सत्य समाना आगम निगम पुरान बखाना आगम अयुध्या कान।रमाण ना परसंगो मा इच ओपाय आवी छे धरमन दूसर सत्य समाना आगम निगम पुरान बखाना आगम निगम पुरान बखाना आगम �सत्य नो जो धरम आवि जो समरपण आवसे जिवन यगन पुरण थरच तो जिवन जिववा जववं सह परन जो सत्य ना आवपुरसिराच जी एतला माते लक्यूजिवन जगदी न दू आवनअमारी महफिल मे बैठ कर देखोअमारी महफिल मे बैठ कर देखोतो पता लगेगा कि ये जिन्दगी कितनी खूब सूरत हैसूर दूर लबसूर दूर लबबडे भाग मानुश तनु पावासूर दूर लब सद गरन्थ निगावासाधन धाम मोक्षकर द्वाराआई नजही अरलोक सवानगरंड ने जवाब आपो छे उपतर कान्द मागरूड जी एक पूछु के जगत नी अंडर केपलाई शरीर छेगरूड जी एक पूछु कइ जगत नी अंडर केपलाई शरीर छइजगत ने जगत माकगडा ने पूछु जरवकगडा ने पूछु जरवतमे जहने पूछो ने एं कहसे कहमारी काया उचि सहेकगडा ने पूछु जरवकाप्रो इपमचप खयते कहमारी..यहाँ बाइषा पर पूछानदव जरवएक सोग जरवतवित कहमारीयहा जगत मा उत्तम मा उत्तम देहनर समानमनुष्य न समानकोई उचव देह मधिपण उपमा तुल्सी दास जीनी अदभूत छेसर गन्रकअप वर्गनि सरनीयहा देनातुल्सी दास जीउपमा आपेदादर ओसे हैं मन कही वोशरीर दादर हैं मन कितुदादर ओसे है, तो दादर मोटे भागेजरि दिधे लोएकज़ जगे स्थिएक जगए लाजो, त्यान लाजोपण तुल्सी यहा देखने दादर नथी कहतानिसरणी, निसरणी तो हलवी ओहेअइं आए मुकाए, अइं आए मुकाए, अइं आए मुकाएसरग नरक, कही भी उठा कर रखतो, और चड़ जासरग नरक, आपवर्ग निसेनी, ज्यान विराग, भगती सुभधेनीमनुष्य देह उत्तम जरव, मानद जीवता सिखी जाए, जीवता नथी आवर्तु एतले बेदा बुमो पाले