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एक नवा समाचार आ गया कि कई कई अंबाए एक पुत्रने जनमात हो।सुमित्रा जी ये बे पुत्रोंने जनमात। आनंद चार गणों थे।अयोध्याना किल्लानी बहार आनंद उछड़वा माले।सर्जूने आज कही आनंद समातों।कोई संते सर्यूने किनारे सरीताने पुछ्यू।हरी सर्यू आज तने केम अच्छो बदो आनंद है।सर्यू एक प्रत्यूतर आपयो।कि आज मैं इतला माते खुश चूँ कि नियम तूटी गयो।बोले नियम तूटे माराजी नहीं थवाई।बोले आज मारा बाते खुशी नो दिवस छे।नियम एम कहे छे कि सरीताये समुद्रनी पासे जवू पड़े।पण आज सागर मारे हांगने आयो।सर्यू भर नहीं लगी उचाले।क्योंकि सागर स्वयम नदी तक आया।आज गाधर में सागर भर आया।आज मारे घरे समुद्र आयो।समुद्र भीजू कोई नहीं।कुरुपा सिम्दो।अति आनन्द योध्या मां।जय जय कार थाई।शंकर जी उच्छवनु वरन करता करता भवानी ने कहे।देवी या बदू मारी नजरे जोयेलू है।कांग भुषंडी जी मनुष्णा रूप लई लें ते दिवसे आयो ध्या गयेला।देवी मारो पोतानो अनुभव छे।कि दशरत जी ना राजभवन मां हमें घणी कोशिश करी जवानी।पर लोकों ये धको मारी मारी न बार काड़ी मुखाये।कैलास पती शिव।कालास पती शिव।सुरिय नारायनकालास पती शिव।कालास पती शिव।सुरिय नारायन कालास पती शिव।कालास पती शिव।सुरिय नारायन कालास पती शिव।कालास पती शिव।कालास पती शिव।कालास पती शिव।कालास पती शिव।कालास पती शिव।कालास पती शिव।