किस समाज की बात करते हैं साहब?उस समाज की?जिस समाज में आज भी साधी के समयबीटियों को अगनी पड़िच्छा से गुजरना परता हैसाधी कैह उजाने के बादबेटे वाले, बेटी वालो कोरिमांड पर लेके दहेज का डिमांड करते हैंउस समाज की बात करते हैं आप?नहीं साहब, हमें अपना सोंच बदलना होगातब जाके देश और समाज प्रगती के पत्फ पे चलेगाबात बहुत बढ़न जमानातूटल रीति रिवाज पुरानाबात बहुत बढ़न जमानातूटल रीति रिवाज पुरानाबेति वाला के सोझा मजबूरी बादपहले लई की देखावल जरूरी बादपहले लई की देखावल जरूरी बादसास नंंद वोतीं के शालितों लाके भाय।देखे खाती खास ज़यग, हले तालुग बुला बायसास नूंद वोतीं के शालितों लाके भाय।देखे खास ज़यग, हले तालुग बुला बायये घल जाता पोरे पोर, छुटत नईखे कौनोरआतना भाई लोके बाद, जी हजूरी बादपहले लई की देखावल जरूरी बादआँख, कान, गाल, बाल, निहां रोले जाताहो दिल हो जाता, चला के चाल, निहां रोले जाताअख, कान, बाल, गाल, निहां रोले जाताहो दिल हो जाता, चला के चाल, निहां रोले जाताएल, इजत संहे खेल, तोबे होटा पास फेलअख, पूया लाम, बढ़, हल, जात, दूरी बापहिले लाई की देखावल ज्रूरी बापहिले लाई की देखावल ज्रूरी बा