
Song
Kailash Pandit
Srimad Bhagavad Gita Gyarhve Adhyay Ka Mahatmya

0
Play
Download
Lyrics
Uploaded by86_15635588878_1671185229650
श्री क्रेष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायन वासुदेवा
बोली एलबिली सरकार की जैज़े
राधाराणी सरकार की जैज़े
प्रिये भक्तों
श्रीमत भागवत घीता के
ग्यारवे अध्याय के पश्यात
आईए हम आपको सुनाते हैं
ग्यारवे अध्याय का महात्म
आईए भक्तों आरम्ब करते हैं
भगवान विश्णू बोले हे प्रिये अब ग्यारवे अध्याय का महात्म सुनो
तुंग भद्र नामक एक नगर था
उस नगर के राजा का नाम सुखानन्द था
वहाँ एक बड़ा धन्वान और विद्वान ब्राहमन रहता था
वे नित्य शिरील लख्षमी नारायन जी के मंदिर में
गीता के 11 अध्याय का पाठ करता था
और राजा के हियां नित्य लख्षमी नारायन की सेवा भी करता था
एक दिन कुछ संथ तीर्थ यात्रा करते करते उस नगर में पहुँचे।
राजा ने संवान सहीथ संथों को टिकाया और भोजन कराया।
भोजन करके संथ बहुत प्रसंद हुए।
प्राते काल राजा अपने पुत्र और मिट्रों सहीथ उनके दर्शन को गया।
और संथों के महन्त जी से धर्म पर चर्चा करने लगा।
राजा का पुत्र वहाँ खेलने लगा।
वहाँ निकटी एक प्रेत रहता था।
उस प्रेत ने राजा के पुत्र को माडाला।
चाकरों ने राजा को इस पात की ख़बर दी।
राजा बोला,
हे संत जी,
आपके दर्शन का मुझे अच्छा भल मिला। मेरा एक ही पुत्र था,
वह भी प्रेत ने माडाला। संतों के कहने पर राजा,
उसका पुजारी ब्राहमन और अन्य व्यक्ती
प्रेत के पास गए। ब्राहमन ने प्रेत से कहा,
अरे प्रेत,
तु इस दड़के पर क
प्रेत बोला,
मैं पूर्व जन्म में ब्राहमन था,
इस ग्राम के बाहर हल जोत्ता था,
वहाँ एक घायल ब्राहमन जिसके अंगो से खून निकल रहा था,
खेत में आकर गिर पड़ा,
एक चील उसका मांस नोच कर खाने लगी,
मैं बैठा देखता रहा,
इतने में एक अन्य ब्राहमन आया,
और उसने ये हाल देखकर मुझसे कहा,
अरे हल जोतने वाले ब्राहमन,
तेरे कर्म चांडाल जैसे हैं,
अरे निर्दई,
तेरे खेत में ब्र
तिरा अच्चा का यहा,
और अपनी योनी से मुक्त हुआ प्रेत उस
विवान में बैठ कर स्वर्ग को चला गया।
राजा का पुत्र भी घीता का पाथ सुनने से भक्त
परायन होकर उसी विवान में बैठ कर स्वर्ग को गया।
राजा ने भी घीता का पाथ सुनने की तो
इस परकार वह भी परमगती को प्राप्त हुआ।
हे लक्ष्मी,
ऐसे अद्भूत प्रभाव वाला है घीता के घीता का पाथ।
बोलिये शी किष्ण भगवान की जेव।
इती श्री पदम पुराने उत्राकंडे घीता
महात्म नाम घ्यार्वा अध्याय समाप्तम।
तो भक्तों, इस परकार यहां पर
श्रीमत भगवत घीता के घ्यार्वे अध्याय का महात्म समाप्त होता है।
सनहे से, हिरदे से बोलियेगा।
ओम् नमों भगवते वासुदेवाय नमहां।
नमहां।
हे नाथ नारायन वासुदेवा
बोली एलबिली सरकार की जैज़े
राधाराणी सरकार की जैज़े
प्रिये भक्तों
श्रीमत भागवत घीता के
ग्यारवे अध्याय के पश्यात
आईए हम आपको सुनाते हैं
ग्यारवे अध्याय का महात्म
आईए भक्तों आरम्ब करते हैं
भगवान विश्णू बोले हे प्रिये अब ग्यारवे अध्याय का महात्म सुनो
तुंग भद्र नामक एक नगर था
उस नगर के राजा का नाम सुखानन्द था
वहाँ एक बड़ा धन्वान और विद्वान ब्राहमन रहता था
वे नित्य शिरील लख्षमी नारायन जी के मंदिर में
गीता के 11 अध्याय का पाठ करता था
और राजा के हियां नित्य लख्षमी नारायन की सेवा भी करता था
एक दिन कुछ संथ तीर्थ यात्रा करते करते उस नगर में पहुँचे।
राजा ने संवान सहीथ संथों को टिकाया और भोजन कराया।
भोजन करके संथ बहुत प्रसंद हुए।
प्राते काल राजा अपने पुत्र और मिट्रों सहीथ उनके दर्शन को गया।
और संथों के महन्त जी से धर्म पर चर्चा करने लगा।
राजा का पुत्र वहाँ खेलने लगा।
वहाँ निकटी एक प्रेत रहता था।
उस प्रेत ने राजा के पुत्र को माडाला।
चाकरों ने राजा को इस पात की ख़बर दी।
राजा बोला,
हे संत जी,
आपके दर्शन का मुझे अच्छा भल मिला। मेरा एक ही पुत्र था,
वह भी प्रेत ने माडाला। संतों के कहने पर राजा,
उसका पुजारी ब्राहमन और अन्य व्यक्ती
प्रेत के पास गए। ब्राहमन ने प्रेत से कहा,
अरे प्रेत,
तु इस दड़के पर क
प्रेत बोला,
मैं पूर्व जन्म में ब्राहमन था,
इस ग्राम के बाहर हल जोत्ता था,
वहाँ एक घायल ब्राहमन जिसके अंगो से खून निकल रहा था,
खेत में आकर गिर पड़ा,
एक चील उसका मांस नोच कर खाने लगी,
मैं बैठा देखता रहा,
इतने में एक अन्य ब्राहमन आया,
और उसने ये हाल देखकर मुझसे कहा,
अरे हल जोतने वाले ब्राहमन,
तेरे कर्म चांडाल जैसे हैं,
अरे निर्दई,
तेरे खेत में ब्र
तिरा अच्चा का यहा,
और अपनी योनी से मुक्त हुआ प्रेत उस
विवान में बैठ कर स्वर्ग को चला गया।
राजा का पुत्र भी घीता का पाथ सुनने से भक्त
परायन होकर उसी विवान में बैठ कर स्वर्ग को गया।
राजा ने भी घीता का पाथ सुनने की तो
इस परकार वह भी परमगती को प्राप्त हुआ।
हे लक्ष्मी,
ऐसे अद्भूत प्रभाव वाला है घीता के घीता का पाथ।
बोलिये शी किष्ण भगवान की जेव।
इती श्री पदम पुराने उत्राकंडे घीता
महात्म नाम घ्यार्वा अध्याय समाप्तम।
तो भक्तों, इस परकार यहां पर
श्रीमत भगवत घीता के घ्यार्वे अध्याय का महात्म समाप्त होता है।
सनहे से, हिरदे से बोलियेगा।
ओम् नमों भगवते वासुदेवाय नमहां।
नमहां।
Show more
Artist

Kailash Pandit0 followers
Follow
Popular songs by Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram EP. 37
WARNER RECORDED MUSIC06:42

Shri Krishna Charitram, Ep. 87
WARNER RECORDED MUSIC19:46

Shri Krishna Charitram EP. 74
WARNER RECORDED MUSIC15:24

Shri Krishna Charitram EP. 77
WARNER RECORDED MUSIC08:14

Shri Krishna Charitram, Ep. 73
WARNER RECORDED MUSIC07:03

Shri Krishna Charitram EP. 72
WARNER RECORDED MUSIC30:34

Shri Krishna Charitram EP. 89
WARNER RECORDED MUSIC17:08

Shri Krishna Charitram, Ep. 71
WARNER RECORDED MUSIC15:12

Shri Krishna Charitram EP. 61
WARNER RECORDED MUSIC11:57

Shri Krishna Charitram, Ep. 48
WARNER RECORDED MUSIC12:44
Popular Albums by Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram EP. 37
Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram EP. 60
Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram EP. 58
Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram, Ep. 57
Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram, Ep. 87
Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram EP. 10
Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram, Ep. 51
Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram, Ep. 48
Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram, Ep. 47
Kailash Pandit

Shri Krishna Charitram EP. 44
Kailash Pandit

Uploaded byThe Orchard
